[PDF] दुर्गा सप्तशती सम्पूर्ण पाठ | Durga Saptashati Path PDF in Hindi

आज हम आपलोगों के साथ इस पोस्ट के माध्यम से दुर्गा सप्तशती सम्पूर्ण पाठ (Durga Saptashati Path PDF) को शेयर करने वाले है, जिसे आप निशुल्क ही दिए गए डाउनलोड लिंक की मदत से डाउनलोड कर सकते है| दिए गए PDF में दुर्गा सप्तशती पाठ का हिंदी में अनुवाद में किया गया है, इसलिए इस पाठ को अवस्य डाउनलोड करें|

दुर्गा सप्तशती सम्पूर्ण पाठ का वर्णन देवीमाहात्म्यम् नामक धार्मिक ग्रन्थ में मिलता है और इस ग्रंथ में देवी दुर्गा महिषासुर नामक राक्षस से विजय प्राप्त करती है इसका भी उल्लेख किया गया है| इस पाठ को अत्यंत ही पवित्र माना जाता है| और यह मार्कण्डेयपुराण का ही एक अंश है, जिसमें 700 से होने के कारण इसे “दुर्गा सप्तशती” कहते है|

PDF Name Durga Saptashati Path PDF
LanguageHindi
No. of Pages3 Pages
Size89 KB
CategoryReligious
QualityExcellent

Durga Saptashati Path PDF

दुर्गा सप्तशती पाठ का अध्ययन नवरात्री के दिन किया जाता है| इस पाठ के अध्ययन से दुर्गा पूजा संपन्न होती है| इस पाठ को सुनने से आपके मन में शांति और सारी कठिनाई सामाप्त हो जायेगा, और सब कुछ मंगल ही मंगल होगा|

मार्कण्डेयपुराण में देवी दुर्गा को महान कहा गया है| देवी दुर्गा अपने शक्ति से शक्तिशाली अशुर महिषासुर का वध करती है और ब्रह्माण्ड पर हुए अत्याचारों से सबको मुक्त करती है, इसीलिए ब्रम्हा ने इसे महान कहा है|

देवी दुर्गा की भक्त नवरात्री में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है| इस पाठ के दो विधान बताये गए है जिसमें से एक सम्पूर्ण और दूसरा सम्पुट| सम्पूर्ण पाठ वह होता है, जिसमें माँ दुर्गा सप्तशती के तेरहवीं अध्याय का पाठ किया जाता है, इसके अलावा सम्पुट पाठ भी किया है| माना जाता है कि जो लोग सम्पूर्ण पाठ नहीं कर पते है वह सम्पुट पाठ कर सकते है| सम्पुट पाठ सुबह, दोहपहर और शाम में करने का विधान है|

आजकल बहुत से लोग कोई भी पाठ को या आरती को मोबाइल में बजाकर उसका लाभ लेना चाहते है, लेनिक विधि पूर्वक कोई भी आरती या पाठ करने से ही इसका लाभ प्राप्त होता है, इसलिए यदि आप भी इसका लाभ लेना चाहते है तो इसे पुरे मन से करें, ऐसा करने से जरुर माँ दुर्गा का आशीर्वाद आपको मिलेगा|

ब्रह्मोवाच ॥७२॥

त्वं स्वाहा त्वं स्वधा त्वं हि वष्‌टकारः स्वरात्मिका।
सुधा त्वं अक्षरे नित्ये तृधा मात्रात्मिका स्थिता ॥७३॥

अर्धमात्रा स्थिता नित्या इया अनुच्चारियाविशेषतः।
त्वमेव सन्ध्या सावित्री त्वं देवी जननी परा ॥७४॥

(पाठान्तर : त्वमेव सन्ध्या सावित्री त्वं वेद जननी परा )

त्वयेतद्धार्यते विश्वं त्वयेतत् सृज्यते जगत।
त्वयेतत् पाल्यते देवी त्वमत्स्यन्ते च सर्वदा ॥७५॥

यदि आप इसके बारे में अर्थ सहित, सम्पूर्ण जानकारी चाहते है तो नीचे दिए गए डाउनलोड बटन की मदत से फ्री में डाउनलोड कर सकते है|

दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करनी चाहिए?

  • सबसे पहले आपको प्राणायाम करना है| (पूरक – कुम्भ -रेचक)
  • यदि आप प्राणायाम नहीं कर सकते है तो आपको बारह बार नवार्ण मंत्र का उच्चरण करना है|
  • आप कोई भी पाठ या दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है तो सबसे पहले आपको संकल्प लेना आवश्यक है कि आप किस उद्देश्य से इस पाठ को कर रहे है|
  • सर्वप्रथम नारायण, नारय नरोत्तम, देवी सरस्वती और व्यास मुनि को नमस्कार करके ही इसका आरंभ किया जा सकता है|
  • इस पाठ को आपको “ॐ” बोलकर शुरुवात करनी है और “ॐ” बोलकर ही इसे समाप्त करनी है|
  • वैसे इस पाठ को हाथों में लेकर नहीं पढ़ना चाहिए, लेकिन यदि आप अस्वथ है तो आप इसे पढ़ सकते है|
  • अध्याय की समाप्ति के बाद ही आप विश्राम ले| यदि अनावश्यक रूप से आपको कही विश्राम लेना पड़ा तो आपको फिर से इस अध्याय शुरू होंगा, इसलिए उचित होगा कि पुरे अध्याय के समाप्ति के बाद ही विश्राम लें|
  • इस पाठ का उच्चारण आप सही शब्दों में करें| यदि आपको संस्कृत पढ़ने में दिक्कत है तो आप पंडित के माध्यम से दुर्गा सप्तशती का पाठ करा सकते है|
  • इस पाठ का अध्ययन आपको ज्यादा जोर से बोलकर नहीं करनी है और ना ही बहुत धीरे से करनी है|

Download दुर्गा सप्तशती सम्पूर्ण पाठ PDF

नीचे दिए गए डाउनलोड बटन की मदत से आप इसे निशुल्क ही डाउनलोड कर सकते है| नवमीं के दिन इस पाठ का अध्ययन कर सकते है|

आज के इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपलोगों के साथ दुर्गा सप्तशती के सम्पूर्ण पाठ (Durga Saptashati Path PDF) को शेयर किया है, उम्मीद है आप सभी को यह पाठ बेहद पसंद आयेगा| यदि यह पोस्ट आपके लिए हेल्प्फुक रही हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें| या आपके मन में कोई सवाल हो तो हमें कमेंट करके बता सकते है|

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