आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सभी के साथ कृष्णा भगवान की आरती (Krishna Aarti PDF) को शेयर किया है, जिसे आप नीचे दिए गए डाउनलोड बटन की मदत से फ्री में डाउनलोड कर सकते है|
आप सभी को तो कृष्ण भगवान के बारे में पता ही होंगा| कृष्ण भगवान त्रिदेवों में से एक है और इसे सृष्टी का पालन हरता भी कहा जाता है| वास्तव में श्री कृष्ण भगवान विष्णु का रूप है| बहुत सारे महान ग्रंथों में भगवान विष्णु का चर्चा किया जाता है कि जब-जब पृथ्वी पर पाप बढ़ने लगेगा तब-तब वह पाप का नाश करने के लिए धरती पर अवतार लेंगे| और श्री कृष्ण उसी अवतार का एक रूप भी है|
Krishna Aarti PDF in Hindi
श्री कृष्णा भगवान की आरती को जो भी पूरी मन और श्रद्धा के साथ करते है प्रभु हमेशा उनकी सारे कष्ट और दुःख हर लेते है| इस आरती को बहुत ही पवित्र माना गया है| ऐसा कहा जता है कि इस आरती में इतनी शक्ति है कि इसके बल पर आपको मोक्ष प्राप्त हो सकता है| इसलिए इस आरती का जाप करना जरुरी हो जाता है|
यदि आप अपने जीवन में बहुत सारे पाप किये है तो आप इस आरती का जप कर सकते है, ऐसा करने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा दृष्टि हमेशा आपके साथ बनी हुई रहेगी| कुछ लोग इस आरती का उपयोग मन की शांति के लिए भी करते है, इस आरती से मन हल्का और प्रशन्न हो जाता है तथा हमें एक नाइ शक्ति का आभास होता है| इसलिए इस आरती को हम सबकों करनी चाहिए|
नीचे से आप इस आरती को डायरेक्ट पढ़ सकते है और इसका लाभ ले सकते है| यदि आप इसका पीडीऍफ़ चाहते है तो नीचे दिए गए डाउनलोड बटन की मदत से फ्री में डाउनलोड कर सकते है|
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद।।
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
Krishna Aarti PDF: Overview
PDF Name | कृष्णा भगवान की आरती (Krishna Aarti PDF) |
Language | Hindi |
No. of Pages | 4 Pages |
Size | 1 MB |
Category | Religious |
Quality | Excellent |
Download Krishna Aarti PDF
नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक कर इस आरती को फ्री में डाउनलोड कर सकते है|
आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सभी के साथ कृष्णा भगवान की आरती (Krishna Aarti PDF) को शेयर किया है, उम्मीद है यह आरती आपको पसंद आई होंगी| अगर आपको पसंद आई है तो इसे शेयर जरुर करें या आपके मन में कोई भी सवाल है तो हमें सीधे कमेंट में बता सकते है|
अन्य महत्वपूर्ण पोस्ट:-
- श्री विष्णु जी की आरती | Shri Vishnu Aarti PDF
- मराठी आरती संग्रह | Marathi Aarti Sangrah PDF
- श्री शनिदेव आरती | Shani Aarti PDF
- गणपतीची आरती | Ganpati Aarti Marathi PDF
- आरती संग्रह | Aarti Sangrah PDF
- आरती कैसे करें? | Aarti Kaise Ki Jati Hai PDF
- शिव जी की आरती | Shiv Ji Ki Aarti PDF
- सरस्वती आरती | Saraswati Aarti PDF
- श्री दुर्गा आरती | Durga Aarti in Hindi PDF