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यह हिन्दू धर्म का काफी लोकप्रिय आरती है| ॐ जय जगदीश हरे आरती के रचनाकार पंडित श्रद्धाराम शर्मा जी है और इस आरती को 1970 में लिखा गया था, वह एक सनातन धर्म के प्रचारक थे| यह आरती भगवान विष्णु के लिए किया जाता है और भगवान विष्णु आपके सादे दुःख और कष्ट को हर लेते है|
यह एक पवित्र आरती है| इसे आप कभी भी कर सकते है| लेकिन इस आरती को मुख्य तौर पर सैम में ही किया जाता है| यदि आप इस आरती को प्रत्येक दिन करते है तो आपको एक अलग ही सुख और शांति महसूस होगी| आपके मन में अलग ही उर्जा होगी, जो हमें नकारात्मक चीजों से बचाएगी| यदि आप इस आरती को पीडीऍफ़ के रूप में चाहते है तो नीचे दिए गए डाउनलोड बटन की मदत से आप इसे निशुल्क में डाउनलोड कर सकते है|
Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF
इस पवित्र आरती को पंडित श्रद्धाराम शर्मा जी ने 1970 ई. में लिखा था| यह आरती श्री विष्णु भगवान के लिए है| इस आरती के माधयम से हम भगवान विष्णु से प्रार्थना करते है- है श्रृष्टि रचेयता आप क्षण भर में भक्त जनों और दास जनों के कष्ट को दूर करें| स्वामी आप ही इस श्रृष्टि के पालनकर्ता और तारणहरता है आप हमरी रक्षा करें, आप ही हो दिन-बंधु और आप ही हो दुःख हरता स्वामी कृपा करें आदि बहुत सारी प्रार्थना करते है|
ॐ जय जगदीश हरे प्रार्थना की लोकप्रियता काफी है| इस आरती की लोकप्रियता इतनी है कि इसे आप सोशल मिडिया जैसे YouTube तथ अलग गानों के एप्लीकेशन में इस आरती को ऑनलाइन की माध्यम से सुन सकते है|
भगवान विष्णु के सामने इस आरती को करने से आपके सारे दुःख और कष्ट हर लेंगे| सिर्फ आपके घर में खुशियों की वर्षा होगी और सब मंगल ही मंगल होगा|
Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF : Overview
PDF Name | Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF |
Language | Hindi |
No. of Pages | 1 Page |
Size | 56 KB |
Category | Religious |
Quality | Excellent |
Download Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF
नीचें दिए गए डाउनलोड बटन की मदत से आप इसे निशुल्क में डाउनलोड कर सकते है और भगवान विष्णु की इस आरती को करते मंगल की प्राप्ति पा सकते है|
आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपलोगों के साथ ॐ जय जगदीश हरे आरती पीडीऍफ़ को आपके साथ साँझा किया है, उम्मीद है यह पीडीऍफ़ आप सभी को पसंद आयेगा| यदि इस पोस्ट के माधयम से आपको कोई भी जानकारी मिली हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के पास जरुर शेयर करें| और आपके मन में किसी भी तरह का सवाल रहने से हमें कमेंट करके बता सकते है|
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