[PDF] श्री सत्य नारायण आरती | Satyanarayan Aarti PDF

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सत्य नारायण भगवान श्री भगवान विष्णु का ही अवतार है और भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक है| शास्त्रों के अनुशार नारायण भगवान ही सृष्टि का निर्माण किया है, इसलिए इसे पालन हरता भी कहते है| ऐसा माना जाता है कि जो भी नारायण भगवान की सच्चे भक्त होते है, उसे सीधे मौक्ष की प्राप्ति हो जाती है| इसलिए हम सबकों नारायण भगवान की पूरा और आरती करनी चाहिए|

Satyanarayan Aarti PDF

ज्योतिषों के अनुशार सत्य नारायण आरती करके इंसान अपना दुखों से मुक्ति पा सकता है| भगवान सत्यनारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप है| भगवान सत्यनारायण का उल्लेख स्कन्दपुराण में मिलता है और स्कन्दपुराण में भगवान विष्णु ने नारद को इस बरत का महत्व बताया है| कलियुग में सबसे सरल, प्रचलित और प्रभावशाली पूजा भगवान सत्यनारायण की ही मानी जाती है|

सत्यनारायण भगवान की पूजा में ये तिन चीजे बहुत ही खाश मानी जाती है केला, दूध और गेहू| ये तीनो प्रसाद रूप में सत्यनारायण भगवान को अर्पित किया जाता है, लेकिन इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण भी मानी जाती है| व्यावहारिक दृष्टिकोण से देखे तो यह आसानी से उप्लाब्द्ध होने के कारण केला सत्य नारायण पूजा में शामिल किया जाता है|

जबकि धार्मिक दृष्टी से देखने पर यह मालूम होता है कि केला बहुत ही शुद्ध फल है| जिस प्रकार भगवान विष्णु अयोनिज है यानि किसी के गर्भ से उपन्न नहीं, उसी प्रकार केले का फल भी बीज से उत्पन्न नहीं होता है| ये कोंपल से फूटता है और फली के अन्दर कई महीने तक पलता और बढ़ता है|

ज्योतिशास्त्र के अनुशार इस पर गुरु ग्रह का प्रभाव होता है जो विष्णु स्वरूप ही है, इसलिए केले का फल सत्यनारायण भगवान को पसंद है| भगवान विष्णु को दूध भी अत्यंत प्रिय है, इसलिए उसका निवास भी क्षीर सागर में है, यानी ऐसा सागर जो दूध से बना है| सत्यनारायण भगवान की पूजा में शालिग्राम की पूजा की जाती है, जिन्हे दूध से स्नान कराया जाता है|

इसलिए भगवान सत्यनारायण की आरती को काफी पवित्र माना जाता है| जो भी इस पवित्र आरती को करते है भगवान सत्यनारायण उनकी हर मनोकामनाओं को पूरा करते है, इसलिए हम सबको यह आरती करनी चाहिए ताकि हम सब पर भगवान सत्यनारायण का आशीर्वाद बनी रहे|

॥ आरती श्री सत्यनारायणजी ॥

जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा।
सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥
जय लक्ष्मीरमणा।

रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥
जय लक्ष्मीरमणा।

प्रगट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर कंचन महल कियो॥
जय लक्ष्मीरमणा।

दुर्बल भील कठारो इन पर कृपा करी।
चन्द्रचूड़ एक राजा जिनकी विपति हरी॥
जय लक्ष्मीरमणा।

वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीनी।
सो फल भोग्यो प्रभुजी फिर स्तुति कीनी॥
जय लक्ष्मीरमणा।

भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धर्यो।
श्रद्धा धारण कीनी तिनको काज सर्यो॥
जय लक्ष्मीरमणा।

ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी।
मनवांछित फल दीनो दीनदयाल हरी॥
जय लक्ष्मीरमणा।

चढ़त प्रसाद सवाया कदली फल मेवा।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्यदेवा॥
जय लक्ष्मीरमणा।

श्री सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
जय लक्ष्मीरमणा।

Satyanarayan Aarti PDF: Overview

PDF NameSatyanarayan Aarti PDF
LanguageHindi
No. of Pages2 Pages
Size1.5 MB
CategoryReligiuos
QualityExcellent

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