आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपलोगों के साथ शनी भगवान की आरती (Shani Aarti PDF) को शेयर करने वाले है, जिसे आप डाउनलोड बटन की मदत से फ्री में डाउनलोड कर सकते है|
शनि देव को सूर्य पुत्र एवं कर्मा फल दाता माना जाता है, लेकिन साथ ही शनि ग्रह के संबंध में अनेक भ्रातियाँ है, इसीलिए उसे मारक, अशुभ और दुःख कारक माना जाता है| शनि देव उनता मारक नहीं है जितना उसे माना जाता है, इसलिए वह शत्रु नहीं बल्कि मित्र है| मौक्ष को देने वाले एक मात्र शनि देव ही है| सत्य तो ये है की शनि देव प्रकृति में संतुलन पैदा करते है और हर प्राणी के साथ उचित नियाय करते है|
जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते है शनि देव केवल उन्ही लोगो को दण्डित करते है| शनि को जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याज खोरी करना, स्त्री गमन करना, झूटी गवाही देना , निर्दोष लोगो को सताना, माता-पिता और गुरु को शताना शनि देव को बिलकुल पसंद नहीं|
Shani Aarti PDF in Hindi
आपको बता दे कि शनि देव अत्यंत ही न्याय प्रिय है| वे इमानदार लोगों को कभी कष्ट नहीं देते, परंतु जो लोग दुसरे के साथ धोखेबाजी करते है, वह समय आने पर शनि देव ऐसा दंड देते है कि उसने जीवन में जितने शुख भोगे होते है, उससे कई गुना दुःख उसे भोगना पड़ता है|
शनि देव इस मृत्यु लोक की एक मात्रा ऐसा स्वामी है जो समय आने पर व्यक्ति के बुरे और अच्छे कर्मो पर उसे दंड जरुर देते है| वे किसी को क्षमा नहीं करते, इसलिए शनिदेव से सब डरते है|
शनि देव को पृथ्वी के न्यायधीश कहते है| जो भी पाप करते है वह शनि देव के दृष्टी से कभी नहीं बच सकता है| वह सबको दण्डित करते है, इसलिए शनि देव को दुष्ट लोग क्रूर कहते है| शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि देव का होता है| शनिवार के दिन को लेकर कोई लोगों में भ्रातियाँ होती है और कई लोग शनिवार के दिन को शुभ नहीं मानते है| और किसी भी गलत घटना के लिए इस दिन को जिम्मेदार ठहराते है|
आप शनि देव की ध्यान जरुर करें और शाम के समय शनि मंदिर जाकर शनि देव की पूजा जरुर करें| ऐसा करने से शनि देव की कृपा से आपका सारा दुःख दूर हो जायेंगे| यदि आप शनि देव की आरती को पीडीऍफ़ में डाउनलोड करना चाहते है तो नीचे डाउनलोड बटन में क्लिक करके कर सकते है|
Shani Aarti PDF / Shani Dev Aarti Lyrics
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
दशरथकृत शनि स्तोत्र:
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
Shani Aarti PDF: Overview
PDF Name | Shani Aarti PDF |
Language | Hindi |
No. of Pages | 1 Page |
Size | 1 MB |
Category | Religious |
Quality | Excellent |
Download Shani Aarti PDF in Hindi
नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करके इस पीडीएफ को डाउनलोड कर सकते है|
आज हमने इस लेख के माध्यम से आप सभी के साथ शनि देव की आरती को शेयर किया है, उम्मीद है आप सभी को यह बहुत पसंद आयेगा| यदि यह लेख आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें|
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