आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपलोगों के साथ श्री विष्णु जी की आरती (Shri Vishnu Aarti PDF) को शेयर किया है, जिसे आप फ्री में डाउनलोड लिंक से डाउनलोड कर पढ़ सकते है|
विष्णु भगवान को पालन हर भी कहते है और कहा जाता है कि जिस पर विष्णु भगवान का कृपा दृष्टि होती है उसे सीधे मौक्ष की प्राप्ति मिल जाती है| विष्णु भगवान त्रिदेवों में से एक है, इसलिए जो भी विष्णु भगवान की आरती सच्चे मन से करते है उस पर कृपा दृष्टि हमेशा बनाएँ रखते है|
Shri Vishnu Aarti PDF
भगवान विष्णु परम-ब्रम्ह है, जिन्होंने इस ब्रह्माण्ड को प्रकट किया है| ऐसे लाखो ब्रामंड विष्णु जी से निर्माण होते है और नष्ट हो जाते है| भगवान विष्णु के चार हाथ है जिनमें चक्र, शंख, गदा और कमल पुष्प है| भगवान विष्णु जी का रंग पानी से भरे बदलो जैसा है| श्री विष्णु जी क्षीरसागर में शेष नाग की छांया में बिराजमान है और समस्त संसार की लक्ष्मी उनकी चरणों के सामने बैठी है, इन्हे त्रिगुनातित कहा जाता है क्योंकि उन्हें ना किसी बात की मोह है, ना क्रोद्ध और ना ही किसी बात का अहंकार है|
इस संसार में किये जाने वाले अच्छे और बुरे कर्मो का फल उन्हीं से प्राप्त होता है| भक्त चाहे किसी भी देवता का आराधना करें, वह अंत में श्री विष्णु हरी जी के धाम ही जाता है और मुक्ति पता है| जिस मनुष्य पर भगवान विष्णु जी की कृपा होती है, उसे न तो मृत्यु का भय होती है और ना ही जीवन का अत्यधिक मोह|
इसलिए हम सबकों भगवान विष्णु की आरती करनी चाहिए, ताकि हम सब पर उबकी कृपा दृष्टि बनी रहे| यदि आप श्री भगवान विष्णु जी का आरती पीडीएफ में डाउनलोड करके पढ़ना चाहते है तो नीचे डाउनलोड बटन में क्लिक कर उसे डाउनलोड कर सकते है|
Shri Vishnu Aarti Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री विष्णु जी की आरती करने का तरीका
- सबसे पहले आपको पञ्च प्रदीप की जरूरत होगी आरती के लिए या आप कपूर से भी कर सकते है, लेकिन पञ्च प्रदीप का प्रचलन कुछ ज्यादा ही है|
- आरती की थाली को अच्छे से सजा लेना है|
- आरती की थाली को सबसे पहले श्री विष्णु जी के चरणों में चार बार घुमाना है|
- फिर भगवान के नाभि के पास दो बार
- उसके श्री विष्णु भवन की मुखमंडल पर एक बार
- और अंत में पुरे भगवान की प्रतिमा पर सात बार आरती की थाली को घुमाना है| इसे तरह से श्री भगवान विष्णु जी आरती की जाती है|
Shri Vishnu Aarti PDF: Overview
PDF Name | Shri Vishnu Aarti PDF |
Language | Hindi |
No. of Pages | 1 |
Size | 56 KB |
Category | Religious |
Quality | Excellent |
Download श्री विष्णु आरती PDF
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर इस पवित्र आरती को डाउनलोड कर सकते है|
आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आपलोगों के साथ Shri Vishnu Aarti PDF को शेयर किया है, उम्मीद है आप सभी को यह बहुत अच्छी लगी होंगी| यदि यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करना न भूलें या आपके मन में कोई भी सवाल है तो हमें कमेंट करके बता सकते है|
अन्य महत्वपूर्ण पोस्ट:-
- ठाकुर प्रसाद कैलेंडर 2022 – Thakur Prasad Calendar 2022 PDF
- गणेश जी की आरती | Ganesh Ji Ki Aarti PDF Free Download
- शिव तांडव स्तोत्र अर्थ सहित | Shiv Tandav Stotram PDF
- गृह प्रवेश पूजा सामग्री लिस्ट – Puja Samagri List PDF
- हिन्दू पंचांग (कैलेंडर) 2022 – Hindu Panchang (Calendar) 2022 PDF
- आदित्य हृदय स्तोत्र संपूर्ण पाठ | Aditya Hridaya Stotra PDF
- सुन्दरकाण्ड – Sundarkand in Hindi PDF