Holika Dahan Vart Katha PDF in Hindi: आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम आप सभी के साथ होलिका दहन व्रत कथा pdf को शेयर किया है, जिसे आप दिए गए डाउनलोड बटन की मदत से फ्री में डाउनलोड कर सकते है|
होली के पावन अवसर पर यह व्रत कथा सुनाया जाता है| यह कथा राक्षस राज हिरण्यकश्यप, उसका पुत्र और उसकी सगी बहन होलिका पर है| माना जाता है कि इस कथा को सुनाने से अच्छे फलों की प्राप्ति होती है, इसलिए होली में हम सबको इस कथा का पाठ जरुर करना चाहियें|
Holika Dahan Vart Katha PDF
शास्त्रों के अनुसार हिरण्यकश्यप घोर तप करके ब्रम्हा को खुश करते है, और उनसे वर मांगते है कि संसार का कोई भी जीव-जंतु, देवी-देवता, राक्षस और मनुष्य कोई भी न मार सके| ना ही रात में मार सके और न ही दिन में, ना ही आकास में मार सके और ना ही पटल में, साथ ही उन्होंने यह भी मांग लिया कि उन्हें कोई अस्त्र भी न मार सकें| ऐसा वरदान पाकर हिरण्यकश्यप अहंकारी, अधर्मी और पापी बन गया| वह समझने लगा की वही भगवान है|
लेकिन ऐसी स्तिथि में उनके घर में एक पुत्र का जन्म होता है, जिनका नाम प्रह्लाद था| वह अपने पिता हिरण्यकश्यप का बिलकुल विपरीत था| वह भगवान विष्णु का ऐसा भक्त था कि उसके भक्ति के भावना को कोई भी बदल नहीं सका| प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि हमेशा बनी रहती थी|
जब यह बात अपने पिता हिरण्यकश्यप को यह पता चली कि उसका अपना पुत्र भगवान विष्णु का भक्त है, तो वह अहंकार के कारण अपने पुत्र को मरने का योजना बनाने लगता है| जब इतना कुछ होने के बाद भी श्री विष्णु भक्त प्रह्लाद अपने पिता के बात को मानने से इंकार कर दिया, तब हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को मरने के लिए जान पर उतर आयें| हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र पर बहुत सब हमला भी कराया पर, प्रह्लाद की हमेशा के तरह विष्णु भगवान उनकी रक्षा करते थे|
इतना सब देख कर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बुलाते हैं| होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में कभी नहीं जलेगी| हिरण्यकश्यप ने होलिका की मदत से अपने पुत्र को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई| उसनें उपने पुत्र को होलिका के गोद में बिठाकर आग में होलिका को बैठा देती है, परंतु भक्त प्रह्लाद पर हमेशा की तरह भगवान विष्णु का कृपा के कारण तो वह बच जाता है, लेकिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका की उसी आग में मृत्यु हो जाती है|
भगवान विष्णु हिरण्यकश्यप को मारने के लिए नरसिंह अवतार लेते है| और फिर उसे में खंभे से निकल कर गोधूली समय (सुबह और शाम के समय का संधिकाल) में दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी हिरण्यकश्यप को मार डालता है| तभी से होली के सुभ अवसर पर होलिका व्रत कथा सुनाया जाता है|
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Holika Dahan Vart Katha PDF: Overview
PDF Name | Holika Dahan Vart Katha PDF |
Language | Hindi |
No. of Pages | 2 Pages |
Size | 334 KB |
Category | Religious |
Quality | Excellent |
Download होलिका दहन व्रत कथा PDF
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