Sankashti Chaturthi Vrat Katha PDF: आज के इस पोस्ट के माध्यम से मैं आप सभी के साथ संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा PDF को शेयर करने वाला हूँ, जिसे आप दिए गए डाउनलोड लिंक की मदत से फ्री में डाउनलोड कर सकते है|
यह कथा भगवान गणेश के लिए किया जाता है| हम सबको पता है कि कोई भी पूजा से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है, तभी उसे संपन्न माना जाता है अन्यथा उसे अधुरा माना जाता है| संकष्टी चतुर्थी को हिन्दू धर्म का एक पवित्र त्यौहार माना जाता है, क्योंकि इसमें गणेश भवन की पूजा किया जाता है| श्री गणेश जी को बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है और वह अपने सभी भक्तों के दुःख और विघ्नों को बिना कहे ही हर लेते है, इसलिए इन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है|
Sankashti Chaturthi Vrat Katha PDF
संकष्टी शब्द संस्कृत भाषा से ली गई है जिसका अर्थ होता है ” कठिन समय में मुक्ति पाना”| इस दिन सब कोई भगवान गणेश की उपवास करते है, ताकि भगवान गणेश सभी के विघ्नों को हर लें| संकष्टी चतुर्थी को बहुत ही शुभ माना जाता है और इस चतुर्थी से सभी को बहुत ही लाभदायक फल प्राप्त होता है|
यह चतुर्थी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है और हिन्दू पंचांग के अनुशार हर महीने में दो बार चतुर्थी आती है| पहली चतुर्थी पूर्णिमा के बाद आती है, जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और दूसरी चतुर्थी अमावस्याके बाद आती है, जिसे विनायक चतुर्थी कहते हैं| सबसे अच्छी बात यह है कि लोग इन दोनों चतुर्थी को बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं|
शास्त्रों के अनुसार माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी बहुत शुभ माना जाता है और इसी दिन भगवान गणेश की आराधना करने के लिए विशेष दिन माना गया है| संकष्टी चतुर्थी को कई नमो से जाना जाता है| कही पर इसे “संकट हारा” कहते है तो कही “संकट चौथ”| यदि किसी महीनें में यह पर्व मंगलवार के दिन पढ़ जाता है तो इसे “अंगारकी चतुर्थी” काहा जाता है और ऐसा सिर्फ 6 महीने में एक बार होता हैं| जो भी भक्त इस दिन व्रत करते है, उसे अंगारकी चतुर्थी का पूर्ण लाभ प्राप्त होती हैं|
संकष्टी चतुर्थी पजा विधि:
- इस दिन आपको प्रात काल सूर्योदय होने से पहले ही उठ जाना है|
- व्रत करने वाले लोगों को स्नान करके साफ और स्वच्छ वस्त्र पहन लेना है| यदि आपके पास लाल रंग का कोई वस्त्र है तो बहुत अच्छी बात है, क्योंकि इस लाल रंग का वस्त्र को बहुत शुभ माना जाता है|
- अब आप गणपति भगवान की पूजा शुरू करें, ध्यान रहे कि जातक का मुँह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना है|
- उसके बाद गणपति की मूर्ति को अच्छे से सजा लेनी है|
- पूजा के लिए तिल, गुड़, लड्डू, फूल, धूप चंदन, ताम्बे के कलश में पानी और प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख सकते हैं|
- पूजा के समय अपने पास देवी दुर्गा की मूर्ति या प्रतिमा को भी रख सकते है, ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है|
- फिर आपको गणपति भगवान को रोली लगाना और जल अर्पित करना है|
- संकष्टी भगवान गणपति को मोदक का भोग लगायें|
- सब कुछ करने के बाद निम्न जप करें|
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
- अब पूजा पूर्ण होने के बाद आप सिर्फ फल, मूंगफली, खीर, दूध और साबूदाने के अलवा कुछ भी न खाये| बहुत से लोग सेंधा नमक का उपयोग करते है, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए|
- शाम के समय चाँद निकलने से पहले आपको गणपति भगवान की पूजा और संकष्टी व्रत कथा का पाठ जरुर करें|
- पूजा समाप्त होने के बाद आप प्रसाद बाँट दे| और फिर चाँद दिखने के बाद ही आप व्रत खोल सकते है|
- और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का पूजा पूर्ण होती है|
Sankashti Chaturthi Vrat Katha PDF: Overview
PDF Name | Sankashti Chaturthi Vrat Katha PDF |
Language | Hindi |
No. of Pages | 1 Page |
Size | 828 KB |
Category | Religious |
Quality | Excellent |
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